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Showing posts from May, 2022

अकेलापन

अकेला शब्द शायद आप ने हजारों बार सुना होगा। लेकिन कभी गौर किया कि अकेला शब्द में ऐसी कौनसी तासीर हैं जो बड़ा अटपटा और बेहद डरावना शब्द लगता हैं। अकेला यानी किसी का साथ नही,अकेला मतलब कोई साथ नही,अकेला मतलब सृष्टि में बिल्कुल अकेला और निरीह नितान्त अकेला। दुनिया मे जो व्यक्ति बिल्कुल अकेला होता हैं,अकेला पड़ जाता हैं। अकेला हो जाता हैं। तो समझो संसार उसको सबसे नीच,असफल,बेइज्जत व कम बुद्धि वाला काम मानते हैं। लेकिन संसार शायद भूल कर रहे हैं कि अक्सर अकेला शब्द वो शब्द हैं जो संसार को सार देता हैं। संसार मे शायद ही कोई हुआ हैं जो अकेलेपन से नही गुजरा हो। या जिसने अकेलेपन को नही जिया हो। लेकिन जिस अकेलेपन को लोग बुरा कह रहे है। अक्सर यह वो लोग कहते है जो मन और विचारों से इतने कमजोर होते हैं। जिनकी बुद्धि निम्न व इतनी कमजोर होती हैं जो बिना साथ के बिना पार्टी या माफिल के या बिना झुंड के नही रह सकते। यानी ऐसे लोग साधारण सोच और साधारण विषय की परिभाषा को इंगित करते हैं। अक्सर जिनका दिल,मन और विचार कुंठित होते है उनको अकेलापन एक जेल लगता हैं। उनको अकेलापन काटने को दौड़ता हैं। उनको अकेलापन खटक

मैं मोटिवेशन स्पीकर कैसे और क्यो बना।

My struggles made me realize that I can transform the lives of many with his own knowledge so I decided to be a motivational speaker. मेरे संघर्षों ने मुझे एहसास कराया कि मैं उनके ज्ञान से कई लोगों के जीवन को बदल सकता हूं इसलिए मैंने एक प्रेरक वक्ता बनने का फैसला किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस अजय : हेलो, मोटिवेटर राठौड़, आप मोटिवेशन स्पीकर कैसे बने। मोटिवेटर राठौड़: हेलो प्रेस आपका स्वागत है मेरे इस मोटिवेशन शो में। आपका प्रश्न हैं कि मैं मोटिवेशन स्पीकर कैसे बना। मैं बचपन से ही आर्मी स्कूल में पढ़ा मेरे पिताजी इंडियन आर्मी में थे। इसलिए मैं अपनी पहली क्लास के लिए जोधपुर राजस्थान से असम गया। मैं जीवन मे पहली बार गांव से इतने बड़े सफर पर निकला था। पिताजी ने अपने मिलने वाले के साथ मुझे बुलाया था। मैं ट्रैन में था उस समय छोटी ट्रैन होती थी यह बात 1981 की हैं। मुझे पहली बार अहसास हुआ कि मेरे गांव से भी बड़ा और कोई सभी सुविधाओं के साथ अन्य गांव भी हैं जहाँ मेरे गांव से भी ज्यादा सबकुछ हैं मेरे गांव में तो सिवाय कुछ जरूरी सेवाओ के कुछ नही। वही से मन मे एक प्रश्न आया कि इसका मतलब इससे भी बड़ा और कु

21वी सदी और डिजिटल

  आज हम 21 सदी में आगे बढ़ रहे हैं। हाल ही में हम विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी कोरोना से रूबरू होकर निकले हैं। कोरोना ने एक बात साबित कर दी कि जिन कंपनियों या लोगो ने समय रहते ऑनलाइन कार्य शुरू कर दिए थे उनके पास आज कोरोना के अंदर और आज भी बेहतर रोजगार हैं। यानी कोरोना में सबसे ज्यादा अगर कोई कार्य या उद्योग चला हैं तो समझो वो था और हैं डिजिटल कार्य। यानी ऑनलाइन उद्योग।  जितने भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म हैं जिसमे फेसबुक,इंस्टाग्राम,गूगल,यूट्यू ब के साथ ऑनलाइन बैंकिंग हो या ऑनलाइन फ़ूड डिलीवरी ऐप्प।  सबसे ज्यादा ऑनलाइन प्लेटफार्म ने कमाया भले किसी भी क्षेत्र का हो। गेम्स की ऐप्प हो या अन्य माध्यम। सबसे ज्यादा कोरोना अर्थात मुसीबत वाले समय मे चला हैं तो वो हैं डिजिटल तंत्र। ऐसे में मैं आपको यही सलाह देना चाहूंगा कि आप भी कही न कहि किसी न किसी डिजिटल युग की क्रांति से जुड़ जाइये। भले आज आप नोकरी करते हैं या अन्य रोजगार या अन्य धंधे। लेकिन आज के समय मे सबसे अहम यदि कोई कार्य हैं तो वो हैं मोबाइल यानी डिजिटल क्रांति। आप अपना मूल काम या व्यापार व अन्य कार्य करते हुए भी आप मोबाइल यानी डिजिटल क्रांति

जीवन के दो वर्ग।

जीवन मे दो वर्ग हैं।   इंसान वही आगे बढ़ता है जो समय के मुताबिक चलता हैं। समय के मुताबिक अगर आप चल पड़े तो समझो आपका लक्ष्य हो या जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आप सफल हो सकते हैं।  जीवन मे सदैव याद रखना कर्म अवश्य फलता हैं। कर्म दो तरह के होते है। वर्तमान और भविष्य निकट दृष्टि और दूर दृष्टि। निकट दृष्टि में आज पर इंसान जीता हैं। जोकि 90% स्वयं के लिए हो गया। जिसमें किसी भी प्रकार के बिना लक्ष्य के जीवन को जीना जिसमे धन ही केंद्र और जीवन का मुख्य सार ही संसार की भौतिकता को भोगने के लिए स्वयं को सबसे आगे रखता हैं। इस प्रकार का जीवन इंसान में ही नही वरण जीव जंतुओं और पशु पक्षियों में भी होता हैं। आप कभी अपने आसपास ध्यान से देखना की वनस्पति के कितने वर्ग हैं।  तो आप पाएंगे कि एक वर्ग हैं जिसको बेल लता झाड़ झखाड़ और खेती की फसलें यही कुछ दिनों और महीनों में उग जाते हैं। लेकिन आपने जल्दी उगने वाले इस वर्ग का यदि सम्पूर्ण विवेचन करो तो आप पाएंगे कि किस्म और क्विलिटी के साथ साथ मुख्य गुणवत्ता भी साधारण से नीचे ही होती हैं। साथ ही इस वर्ग का जीवन चक्र भी ज्यादा लंबा नही होता।  आज 21 सदी का सबसे क्रू

धन की आवक कैसे?

  शेयर मार्केट और शेयर शब्द को आपने अक्सर सुना होगा। लेकिन क्या आपने इस विषय को जीवन का अभिन्न अंग समझ कर इसके साथ जुड़ने का विचार किया।  शेयर बाजार क्या हैं। शेयर बाजार से इनकम कैसे हो सकती हैं। शेयर बाजार कितना सही विकल्प हैं कमाई के विषय से। शेयर बाजार कितना अहम हैं आज के समय मे।  मैं रूरल एरिया में शेयर मार्केट और उससे होने वाले लाभ और विकास के बारे में समय समय पर मोटिवेशन सेमिनार में ग्रामीण परिवेश में रहने वाले हजारों परिवारों के चेहरों पर फैली मायूसी को ख़ुशी में कैसे बदल सकता हूँ।  मैं जीवन मे सदा एक ही विषय पर विचार करता था। कि मैं कैसे सबको खुश कर सकता हूँ। गरीब का जीवन कैसे बदल सकता हू। ग्रामीण क्षेत्रो में रहने वाले गरीब लोगों का जीवन कैसे बदलने का विचार सदा से मेरे जीवन का अभिन्न अंग बनकर मेरे साथ चला यह मैं आज तक जी रहा हूँ। लगभग भारत के हर राज्य के बड़े और छोटे गांवो से लेकर शहरों तक मैं गया हूँ। मैंने एक ही बात पाई ग्रामीण स्तर पर लोग आर्थिक पिछडे हुए क्यो हैं। कारण एक ही पाया कि मुख्य और दिखते और शारीरिक कार्यो के अलावा सॉफ्ट वर्क कार्यो को ग्रामीण लोग सदियो से न तो जानते

अमीर कैसे बनें: आप भी बनना चाहते हैं करोड़पति

  अमीर कैसे बनें: आप भी बनना चाहते हैं करोड़पति, तो अपनाएं ये 11 स्मार्ट तरीके सार अमीर और गरीब के बीच अंतर सिर्फ एक सोच और दूसरा जोखिम का है। अमीर आदमी जोखिम लेकर निवेश करता है, वह बाजार में एक नया दृष्टिकोण पेश करता है।    विस्तार अमीर कौन नहीं बनना चाहता? रात-दिन, सोते-जागते हर व्यक्ति के मन में यह ख्याल जरूर आता होगा कि वह करोड़पति क्यों नहीं है। वह भी उतनी ही तो मेहनत करता है, जितना दूसरा व्यक्ति। बावजूद इसके वह हमेशा पैसे की तंगी से जूझता रहता है।  यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि हम जिससे अपनी तुलना कर रहे हैं, क्या हमने कभी उसका मूल्यांकन किया है। क्या आप भी उस व्यक्ति की तरह सोचते हैं और उसकी तरह जोखिम उठाने को तैयार हैं? अगर ऐसा है तो आप भी जल्द से जल्द अमीर बन सकते हैं, लेकिन आपको इसके लिए इन 11 तरीकों को अपनाना होगा....  1. खुद पर निवेश करें, सुधार करते रहें  अपने आसपास के लोगों का मूल्यांकन करेंगे तो पाएंगे कि जितने भी सफल लोग हैं, वे खुद में सुधार करना कभी बंद नहीं करते। सुधार के लिए वे समय, पैसा, ऊर्जा का निवेश करते हैं। अगर आप भी सफल और अमीर बनना चाहते हैं, तो आपको भी

धन और जीवन

  धन अर्थात मान सन्मान,इज्जत,रुतबा और सर्वमान्य। गरीब लोगों की सोच हैं कि धन सही और उत्तम विधि और रीति से कमाया हुआ होना चाहिए। अर्थात धन जोकि संसार के केंद्र में मुख्य बिंदु हैं। जिसके बिना एक कदम चलना संभव नही।  धन है तो आप शान और शौकत की जिंदगी जी सकते हैं। आपके परिवार,पत्नी बच्चो और समाज के साथ साथ ग्राम और सम्पूर्ण जान पहचान और न जानने वालों के बीच भी चर्चा वो भी हर जगह और हर माफिल में।  यदि धन नही तो पत्नी के दिल मे भी पति की छवि एक अमान्य और निर्धन व्यक्ति की बन जाएगी। धन वो चाबी हैं जोकि आज से नही सदियो से हैं। जिसको राजा महाराजा और लुटेरे तक सब से ज्यादा मानते थे। जोकि आज नेता और अभिनेता हो या अन्य धन को ही मुख्य तव्वजो दी जाती हैं। ऐसे में यदि कोई बिना धन के ऊपर लिखी सन्मान की बातों को पाना चाहता हैं तो शायद वो गलत सोच रहा हैं। क्योंकि जीवन मे बिना धन सबकुछ असम्भव हैं।  जीवन का सार ही धन हैं। आज जिसका कारण भोग और विलासिता हैं। धन जितना ज्यादा होगा बुद्धि उतनी ज्यादा होगी। धन जितना ज्यादा होगा बुद्धि उतनी ज्यादा विकसित और बेहतर होगी। जीवन मे सबसे अहम ही धन हैं। सुबह से लेकर शा

गड़रिया

  जीवन में हम कहाँ से आते है। कहाँ जाते हैं। इस विषय पर लोगो के अलग अलग मत और विचार हैं। एक धड़ा जोकि सनातन संस्कृति को मानता हैं वो दुनिया ईश्वर द्वारा चलाई जा रही हैं को पुख्ता रूप से मानता हैं।  जबकि एक धड़ा जोकि विज्ञान को मानता हैं या विज्ञान से तालुकात रखता हैं संसार को एक रासायनिक संयोग मानता हैं। विज्ञान जोकि यह कहता हैं कि इस संसार मे कोई भगवान या ईश्वर नही होता। ईश्वर होता हैं या संसार को कोई चला रहा हैं या संसार मे कोई अलग से देवलोक हैं यह केवल एक अंधविश्वास हैं।  लेकिन मैं जोकि सनातन संस्कृति का हिस्सा हूँ। मैं हजारो साल पुरानी संस्कृति को मानता हूँ। जबतक मैं विज्ञान के तर्क को अपने तार्किक पहलू पर खरा नही पा लूंगा तब तक मैं सनातन संस्कृति का हिस्सा बनकर ही विश्व मे जीत रहूंगा    जीवन मे जन्म से लेकर मरण तक। माँ गर्भ में जीव के विकास और जन्म और संसार का प्रत्येक जीव गतिशील और क्रियाशील व सक्रिय अर्थात कुछ तो हैं जोकि इस संसार को गतिशील बना रहा हैं।  सूर्य उगता हैं। चंद्रमा चमकता हैं  हवाएं चलती हैं। बदल बनते हैं निश्चिय समय पर वर्षा गर्मी,सर्दी और ऋतुओ का चक्र चलता हैं।  पेड़

रिस्तो की छंटाई ही वास्तविक विकास।

  किसान या खेत का मालिक  पेड़ को बड़ा औऱ ऊंचा उठाने के लिए नीचे की टहनियां काट देते हैं। कारण नीचे की टहनियों से पेड़ ऊंचाई की तरफ नही बढ़ पता कारण उसका जुझाव नीचे की  टहनियों की तरफ रहता हैं। जबकि पेड़ को ऊंचा बढ़ाना हैं। जब तक पेड़ को ऊंचाई नही मिल सकती जब तक पेड़ के निचले हिस्से में भार कम नही होगा। और पेड़ का निचला भार कम होगा निचली टहनियों को कटाई छटाई से। जैसे किसान पेड़ के निचले हिस्से में कटाई करेगा पेड़ हल्का और निचली टहनियों को मिलने वाली खुराक पेड़ के ऊपर वाले हिस्से को मिलने लग जाती हैं। जिस भार से पेड़ दबा हुआ महसूस कर रहा था वो भार जैसे ही कट जाता हैं।  पेड़ की ऊपर बढ़ने की शुरुवात हो जाती हैं। अब पेड़ नीचे नही देखता वर्ण ऊपर की तरफ देखता हैं। अब पेड़ के पास अपनी जड़ों के साथ साथ तना और विशेष शाखाये हैं। जोकि पानी,खाद और अन्य आवश्यक कार्यो के लिए जरूरी होती हैं।  अब पेड़ को फ़्री होकर अपनी शाखाओ को ऊपर बढ़ने के लिए पर्याप्त कारण सही लग रहा हैं। अब पेड़ को अपने अगले जीवन की यात्रा के लिए पर्यापत कारण सही लग रहा हैं। ठीक वैसे ही इंसान को अगर ऊपर उठना हैं आगे बढ़ना हैं या दुनिया मे कुछ विशेष करना

जीवन की रफ्तार।

  सच कहा किसी ने"तेज चलने वाले लंबे नही चलते। लंबे चलने वाले तेज नही चलते" जिसने इस वाक्य को समझ लिया समझो पूरी दुनिया उसके कदमो में। इस वाक्य को समझने वाला कुछ भी लार सकता हैं। अब कितना चलना हैं किसे चलना हैं। चलने वाले पर निर्भर हैं। जीवन के दो आयाम हैं तेज और धीरे। दोनों के अपने मतलब और वजूद हैं। तेज चलने के अपने फायदे और कायदे हैं। धीरे चलने के अपने आयाम और पैगाम हैं। चलना दोनों ही स्थिति में हैं। जैसे ही हम चलते हैं रफ्तार किसकी कैसी रहती हैं वही राही की दिशा और दशा तय करती हैं। जीवन मे अक्सर लोग क्या कहेंगे के कारण लोग अपनी रफ्तार की चाबी दुसरो को सौंप देते हैं। जब रफ्तार की चाबी ही आपके हाथ मे नही हैं तो फिर लोग क्यो आपको मानेंगे।  जिसकी रफ्तार जिसकी मर्जी पर निर्भर जिसकी जीवन की गाड़ी जिसके हाथ समझो वही हो गया जीवन का खेवैया।  जीवन मे किस लक्ष्य के लिए किस रफ्तार की जरूरत हैं। इसका अंदाजा आपको लक्ष्य तय करने से पहले आपको पता होना चाहिए। जीवन का प्रत्येक कार्य अपनी रफ्तार से होता हैं।  जिसकी जैसी रफ्तार वैसी लक्ष्य तक पहुचने की आशा।  जीवन मे आप क्या करना चाहते हैं। जीवन

लगे रहो,एक दिन मंजिल कदम चूमेगी।

  मोटिवेशन स्पीकर और लाइफ कोच वही बन सकते हैं जो जिंदगी के हर हालात से लड़कर हजारो बार गिरकर,सम्भल कर,उठ कर हर हार और सफलता के बाद जो एक नई कोशिश करे।  जीवन का कोई पहलू आसान और कई महान और विशेष काम आसान नही। सबसे बड़ी और अहम बात की हजारो ऐसे लोग और परिवार व समाज जिनकी सोच केवल आम आदमी और आम जीवन को जीते हुए गुजारते हुए बिना किसी विशेष बलिदान और समय की पहचान बनाये अपनी जिंदगी आसान रास्तो से होते हुए गुजार देना। नाम और पहचान उन्हें मिलती हैं जो लाखो की भीड़ से कुछ अलग कर जाए। जो आज भले अपमानों के अनगिनत सायो में हैं अपनो से लेकर हर कोई जिनको तानो और बेइज्जती के अनगिनत बोलो से नवाजते हैं। साधारण लोगो के लक्ष्य छोटे होते हैं तो पूरे भी जल्दी हो जाते हैं। लेकिन जिन लोगो के लक्ष्य बड़े होते हैं उनके काम पूरे होने में भी समय लगता हैं। जितना गिरोगे उतनी दुनिया मे आपकी कीमत के तार कसेंगे और लोग जो आपको तोड़ने वाले हैं उनको आपके टूटने का मजा आएगा लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक बेहतर पहलवान और खिलाड़ी की खासियत क्या हैं सामने वाले को जीतने देना तब तक जब तक सामने वाला अपनी पूरी ऊर्जा और पैंतरे खो न द