दोस्तों यह लेख मैं एक स्टडी और काफी रिसर्च के बाद लिख रहा हूँ। विदेश की एक मैगज़ीन और वेबसाइट व संगठन ने एक स्टडी की जिसमे पाया कि पहले आर्थिक सक्षमता नही थी। ज्यादतर आबादी गरीब थी। लेकिन वर्धश्रम नही थे। बुजुर्गो की अवहेलना नही होती थी। युवा या पिछली पीढ़ी बुजुर्गो का सन्मान करती थी। जबकि आज आर्थिक सक्षमता ज्यादा हैं धरती की बड़ी आबादी आज रोजगार और धन से शारोबार हैं। हर प्रकार की सम्पनता हैं। धन और लाइफ स्टाइल भी अत्यधिक परिपक्व हैं। नारी पढ़ लिख गयी। बच्चो को बड़े और उम्दा स्कूलों और कॉलेजो में शिक्षा भी दी। कच्चे घरो से आज ऊंचे और बड़े व लग्जरी व गाड़ी घोड़े व तमाम तरह की सुविधाएं मिल गयी लेकिन क्या आज का युग व आज के हम लोग पहले की तुलना में सुखी हैं। क्या नारी के शिक्षित होने और पर्दा प्रथा खत्म होने व नर के बराबर हक्क और आजादी से दुनिया सुखी हैं। क्या बच्चो को माता पिता अपना निवाला मुँह से निकाल कर बड़े और महंगे स्कूलों और कॉलेजो में शिक्षा और अपने सपनो की कुर्बानी देकर आज बेटे बेटियों का आराम माता पिता को मिल रहा हैं। क्या पति दिन रात मेहनत और हालातो से झुझ कर अपने घर परिवार को पा
Moti Singh Rathore(Motivator Rathore) Motivation Speaker & Life Coach, Trainer & Writer जीवन का सबसे अच्छा सार अपने लिए जिओ ही मत। दुख और चिंता खत्म। जीवन को विशेष कार्य योजना में लगा दो। जीवन मे याद रखो 100% लोग जब राम,कृष्ण और अल्लाह से खुश नही हुए तो आप क्यो जूठी आशा में बैठे हो कि 100% लोग आपसे खुश होंगे। सबको खुश रखने के चक्कर मे न पड़ कर अपना जीवन सही और बेहतर कर्मो की तरफ मौड़ दो। मेरे विचारों से संतुष्ट हो या नही लेकिन विचार रखने की आजादी मेरा जन्म सीध अधिकार हैं वाल्तेयर