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Showing posts from January, 2020

kyo nahi hota || क्यों नहीं होता

     क्यों नहीं होता || क्यों नहीं मिलता आज इस विषय पर लिखूंगा. अक्सर लोग कुछ न कुछ कहते हैं जब उनका कोई काम नहीं होता या बिगड़ जाता हैं. हम सभी कहते हैं "क्यों नहीं होता " "क्यों नहीं हुआ ". अक्सर हम दुखी हो जाते हैं. क्या आपको पता हैं की दुनिया में सबसे बड़ा धोखा क्या हैं और कौन किसीको देता हैं. दोस्तों इन प्रश्नो का एक ही उत्तर हैं की इस दुनिया में अगर कोई सबसे बड़ा दुश्मन अगर हमारा हैं और सबसे बड़ा धोखा क्या हैं तो इसका एक ही उत्तर हैं और वो उत्तर हैं "हम स्वयं". इस दुनिया में हम से बड़ा न तो कोई दुश्मन हैं और न ही कोई धोखेबाज। जोकुछ हम भुगत रहे हैं उसका जवाब हम ही हैं. अगर आप अच्छा कर रहे हैं तो भी आप ही अच्छा कर रहे हैं और बुरा हो रहा हैं वो भी हम स्वयं से हो रहा हैं. कितनी बड़ी विडंबना हैं की नींद से तो फुर्सत नहीं और चले हैं हुसैन बोल्ट और सचिन बनने। पहले अपने आपको बहानो से बहार निकालो अपने आपको आईने  सामने खड़ा करके स्वयं से सवाल करो की क्या तुम 100% सही दिशा में  समय के साथ अपने सुचारु लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हो. सिर्फ और सिर्फ दुनिया को दोष देते हैं

Sapne || सपने

अक्सर हम एक धारणा में जी रहे हैं कि सपने तो सिर्फ नींद में देखे जाते हैं। सपने तो उल्टे पुल्टे उटपटांग होते हैं। जिनका हकीकत की जिनदगी से कोई लेना देना नही। न ही इन सपनो को देखने और मेहनत करने से सपने सच होते हैं। मेरा मानना हैं कि अगर किसी को रात में गहरी नींद में सपना आये की वो एक नगर का महान राजा बन गया तो मैं इस सपने को सही नही मानूंगा। लेकिन एक पढ़ने वाला छात्र अगर अपने दोस्त से कहे कि मेरा सपना हैं कि मैं कड़ी मेहनत करू रात दिन मेहनत करू और एक दिन कलेक्टर बनकर देश और समाज व परिवार की सेवा करू।  इसके लिए मुझे चाहे कुछ भी क्यो न करना पड़े। मेरा मानना हैं कि यह छात्र कलेक्टर बन सकता हैं। भले वो गरीब परिवार में ही क्यो पैदा नही हुआ। लेकिन एक छात्र सिर्फ और सिर्फ सोते जागते कहते रहता हैं कि मुझे कल रात में सपना आया था कि मैं कलेक्टर बन गया हूं। छात्र के पास न तो पढ़ने का नियमित कार्यक्रम हैं। न ही पढ़ाई को समय देता हैं। जब भी कोई उसको पढ़ने का कहता हैं। तो बिना किसी सोच विचार के कहता रहता हैं। कि मैं एक दिन कलेक्टर बनूँगा। मेरे पास बड़ी सी गाड़ी होगी। नोकर चाकर होंगे। बड़ा सा बंगला होगा। ज

Tension || टेंशन

टेंशन अर्थात दुख हताशा बुरे ख्याल। न जाने कैसे कैसे ख्याल आते हैं। जब टेंशन होता हैं। टेंशन यह शब्द लगभग हर व्यक्ति के मुँह से दैनिक जीवन मे बोला जाता हैं। टेंशन से कोई दोस्ती नही करना चाहता। टेंशन के साथ कोई हाथ नही मिलाना चाहता। कारण टेंशन को लोग दुख का सूचक मानते हैं । अक्सर टेंशन असफलता से जुड़ा हुआ होता हैं। आज और सदियों से लोग सिर्फ और खुश रहना और सफल होना चाहते हैं। असफल और दुखी होने कोई नही चाहता। हम सभी हमेशा सभी के साथ जब कोई बुरी या असफल घटना घटती हैं तो सिर्फ एक शब्द सबके मुँह से निकलता हैं। यार जिंदगी में इतना टेंशन हैं कि क्या बताऊँ। यार फला काम नही हुआ। क्या करूँ। किसको बताऊ। अक्सर छोटे छोटे बच्चो को टेंशन नामक शब्द को बोलते सुनते हैं। यार होम वर्क नही किया कल स्कूल में पिटाई का टेन्शन हैं। क्या करूँ क्लास टीचर पनिशमेंट देगी उसका भी टेंशन। कुल मिलाकर ऊपर जो कुछ भी लिखा हैं। उसमे एक शब्द ही मुख्य हैं। "टेंशन". अब सबसे पहले हमे इस शब्द से डर और खोफ क्यो हैं। उसका कारण हैं। बिना कुछ नुकसान के सिर्फ और सिर्फ सफलता। बिना किसी कीमत के फायदा। बिना दौड़े प्रथम आ